अंधविश्वास के चलते कैसे कई जिंदगियां मौत से जंग हार जाती है इसकी बानगी बरेली के कस्बे में देखने को मिली. न ऐसे मामले पुलिस तक पहुंचते है,ईरिक्शाकेतारसेकरंटलगातोसालकेबेटेकोरेतमेंदबायाअंधविश्वाससेचलीगईजान न कभी रिकार्ड्स में दर्ज होते हैं. सैकड़ों किस्सों की तरह ये किस्सा भी दब जाता अगर एक फोटो वायरल नहीं होता.उत्तर प्रदेश मेंबरेली के कस्बे शीशगढ़ के गांव मेंबिजली से चार्ज हो रहे ई-रिक्शा के खुले तार की चपेट में आने से एक बच्चे को करंट लग गया. करंट से बेदम हुए पांच साल के बच्चे को तुरंत हॉस्पिटल ले जाने की जगह उसे रेत में दबा कर घरेलू इलाज करने लगे. इस बात से कोई फायदा न होने पर एक घंटे बाद बरेलीहॉस्पिटल ले जा रहे थे लेकिन बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. इस तरह बच्चे की जिंदगी के कीमती पल अंधविश्वास की भेंट चढ़ गए.दरअसल बरेली के शीशगढ़ थाना क्षेत्रके ग्राम गिरधरपुर में घर के बाहर बिजली से चार्ज हो रहे ई-रिक्शाने एक मासूम बालक की जान ले ली.बिजली का करंट लगने से5 साल के मासूम की दर्दनाकमौतहोने से घर मे कोहराम मच गया. यह घटना बुधवार की है जो सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल होने से सामने आई.बुधवार की दोपहर शीशगढ़ के गांव गिरधरपुर निवासी रिक्शा चालक भूपेंद्र का ई-रिक्शा घर के दरवाजे पर बिजली से चार्ज हो रहा था. तभी भूपेंद्र का5 वर्षीय बेटा करन खेलते-खेलते अचानकई-रिक्शा के पास पहुंच गया. ई-रिक्शा के बिजली के तार कुछ खुले हुए थे जिनसे संपर्क में आने उससे करंटलग गया.बच्चे के चिपकते ही चारों तरफ चीख-पुकार मच गई. किसी तरह पांच वर्षीय कारणको बिजली के तारों से अलग किया गया. बच्चे की आवाज सुनकर दौड़े परिजनों ने कुछ लोगों की सलाह पर बच्चे को आनन-फानन मे रेत में दबा दिया और देशी तरह से इलाज करने लगे. घंटा भरबीत जाने के बाद भी जब कोई फायदा नहीं मिला और बच्चे कीहालात बिगड़ने लगी तो करन को इलाज के लिये बरेली ले जाने लगे लेकिन टूटती सांसों ने शरीर का साथ बीचरास्ते मे हीछोड़ दिया.करन 2 भाइयों में दूसरे नम्बर का था.यह भी पढ़ें: