ताबड़तोड़ आ रहे आईपीओ (IPO) के बीच बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने इससे जुड़े नियमों को नए साल से ठीक पहले सख्त किया है. सेबी का इस बात पर खास ध्यान है कि आईपीओ के जरिए पब्लिक से जुटाए जा रहे पैसों का कंपनियां कुछ भी गलत इस्तेमाल नहीं कर सकें. इसके अलावा आईपीओ के प्राइस बैंड (IPO Price Band) और एंकर इन्वेस्टर्स (Anchor Investors) के लिए लॉक-इन पीरियड (Lock-In Period) से जुड़े नियमों में भी बदलाव किए गए हैं. ये सारे बदलाव 01 अप्रैल 2022 से लागू होंगे.आईपीओ बाजार (IPO Market) की खामियों को दूर करने के लिए सेबी ने 16 नवंबर को डिस्कशन पेपर (SEBI Discussion Paper) जारी किया था. ये सारे बदलाव उसी पेपर पर आधारित हैं. सेबी को आईपीओ के नियमों में कुछ खामियां नजर आईं. खासकर नए जमाने की टेक्नोलॉजी और इंटरनेट पर आधारित कंपनियों की लिस्टिंग को लेकर नियमों में कुछ बदलाव करने की जरूरत महसूस हुई.सेबी ने जो सबसे अहम बदलाव किया है,सख्तहुआसेबीआईपीओकीएकएकपाईकाहोगाहिसाब वह आईपीओ से जुटाए गए फंड की एक-एक पाई का हिसाब है. अब आईपीओ से जुटाई गई पूरी राशि के इस्तेमाल पर क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों (Credit Rating Agency) की नजर रहेगी. ये एजेंसियां सुनिश्चित करेंगी कि एक-एक पाई का खर्च उन्हीं काम पर हो, कंपनियों ने आईपीओ के दस्तावेज में जिनका हवाला दिया है. अभी तक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां 95 फीसदी फंड के इस्तेमाल पर ही नजर रखती थी.कंपनियां अब आईपीओ से जुटाए गए फंड के 25 फीसदी का इस्तेमाल ही इन-ऑर्गेनिक ग्रोथ (Inorganic Growth) पर कर पाएंगी. अभी कई ऐसे मामले सामने आ रहे थे, जब कंपनियां आईपीओ से जुटाए गए पैसे से विलय और अधिग्रहण (M&A) करती थी. सेबी का मानना है कि यह पब्लिक के पैसे का सही इस्तेमाल नहीं है. इसी कारण अब इस तरह के खर्च पर लिमिट लगाने का प्रावधान किया गया है.एंकर इन्वेस्टर्स के लिए लॉक-इन पीरियड को भी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. अब एंकर इन्वेस्टर के लिए यह अवधि 30 दिनों के बजाय 90 दिनों की होगी. इसके साथ ही जिन शेयरहोल्डर्स (Shareholder) के पास 20 फीसदी या इससे अधिक हिस्सेदारी है, वे लिस्टिंग (IPO Listing) के दिन ज्यादा से ज्यादा 50 फीसदी शेयर ही बेच पाएंगे.दरअसल हाल में आए कुछ नई कंपनियों के आईपीओ ने इन बदलावों को जरूरी बना दिया था. जोमैटो के आईपीओ (Zomato IPO) के मामले में एंकर इन्वेस्टर एक महीने का लॉक-इन पीरियड खत्म होते ही एक्जिट (Exit) कर गए. इससे कंपनी का शेयर नौ फीसदी तक टूट गया, जिसका नुकसान रिटेल इन्वेस्टर्स यानी आम लोगों को हुआ. पेटीएम के आईपीओ (Paytm IPO) में भी एंकर इन्वेस्टर के एक्जिट करते ही शेयरों में 13 फीसदी की बड़ी गिरावट आई. यही वाकया नायका के आईपीओ (Nykaa IPO) में भी दोहराया गया. अब लॉक-इन पीरियड बढ़ाए जाने के बाद शेयरों की वोलेटलिटी पर लगाम लगने की उम्मीद है.
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